डॉ. अर्चना शर्मा सुसाइड प्रकरण में कांग्रेस सरकार ने पुलिस प्रशासन का दुरूपयोग कर भाजपा नेताओं के खिलाफ षडयंत्र कियाः रामलाल शर्मा

जयपुर। भाजपा प्रदेश मुख्यालय पर लालसोट के डॉ. अर्चना शर्मा सुसाइड मामले में प्रदेश मुख्य प्रवक्ता एवं विधायक रामलाल शर्मा एवं प्रदेश मंत्री व पूर्व संसदीय सचिव जितेन्द्र गोठवाल ने मीडिया को संबोधित किया।
रामलाल शर्मा ने बताया कि, लालसोट विधानसभा क्षेत्र में आशा बैरवा की प्रसव के दौरान मृत्यु पर निजी अस्पताल के डॉक्टर को दोषी मानते हुए डॉ. अर्चना शर्मा के खिलाफ एक एफ.आई.आर दर्ज होने के बाद दूसरे दिन डॉ अर्चना शर्मा ने आत्महत्या की। लेकिन उसके बाद राजनीति के स्तर के ऊपर अपने प्रभाव का उपयोग करते हुए सरकार के द्वारा जो कृत्य किए गए, उसकी भारतीय जनता पार्टी निंदा करती है। सरकार के दबाव में पुलिस ने जिन्हें मुलजिम बनाया, वह मृतका को न्याय दिलाने की मांग कर रहे है।
शर्मा ने बताया कि, सरकार के द्वारा सुसाइड नोट पर फॉरेंसिक रिपोर्ट आई है, उसमें मृतका के हस्ताक्षर मेंच नहीं होते है, केवल एक ही अक्षर हो रहा है। जांच की निष्पक्षता पर शुरू से ही सवालिया निशान भाजपा लगाती रही है। जो निर्दोष लोग है उनके ऊपर राज्य सरकार कार्यवाही कर रही है, एफआईआर में जितेन्द्र गोठवाल का नाम नहीं, न ही सुसाइड नोट में शामिल है, सरकार ने निष्पक्षता के साथ जांच नहीं की गई।

शर्मा ने बताया कि यदि फॉरेंसिक जांच दिल्ली या हैदराबाद से होकर आए तो मृतका को न्याय मिलेगा, जितेंद्र गोठवाल ने उस समय भी इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर के सामने भी अपना परिवाद दिया कि, हमें सरकार की लैब पर विश्वास नहीं है, इसकी जांच हैदराबाद से कराई जाए या दिल्ली से कराया जाए, ताकि वह निष्पक्ष हो उस समय तत्कालीन गृह विभाग के गृह सचिव को भी इन्होंने लिखित के रूप में दिया, न्यायालय के अंदर भी हमने परिवाद पेश करके हमने कहा कि जांच की निष्पक्षता के ऊपर सवालियां निशान है। लेकिन सरकार ने सब चीजों को नजरअंदाज करते हुए, और अपने प्रभाव का उपयोग करते हुए सिर्फ और सिर्फ राजनीतिक आधार पर इस विषय को डायवर्ट करने का काम किया है।

शर्मा ने कहा कि आज भारतीय जनता पार्टी मांग करती है की सरकार में जरा सी भी संवेदनशीलता है तो सरकार इस पूरे मामले की सीबीआई से जांच कराएं, सरकार इसकी जांच राजस्थान की लैब से करवाने के बजाय, हैदराबाद की या दिल्ली की लैब से जांच करें, इसे दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। लेकिन जितेंद्र गोठवाल ने हर वक्त मीडिया के सामने भी और अन्य अपने स्टेटमेंट में भी यह कहा है की डॉ अर्चना शर्मा को न्याय मिलना चाहिए, उसके साथ जो हादसा हुआ वह दुखद है, दुख सभी को है लेकिन जो दोषी है उनके खिलाफ सरकार कार्यवाही करें, लेकिन निर्दाेष लोगों के खिलाफ सरकार कार्रवाई करें यह अनुचित है, गलत है, जो अब्युट बनाया गया, उस अब्युट की पृष्ठभूमि भी मैं मीडिया के सामने रखना चाहूंगा, निष्पक्षता के साथ सीबीआई से जांच करवाएं, अगर सरकार को लगता है कि हम ईमानदारी के साथ में काम कर रहे है और सरकार को कोई आंच नहीं आए तो सीबीआई से जांच हो, और दिल्ली और हैदराबाद की एफ एस एल से जांच होकर आए, ताकि जो सही हो मैं सही हूं और गलत को सजा मिले।

जितेंद्र गोठवाल ने बताया कि, अर्चना सुसाइड मामले के अंदर सरकार द्वारा भारतीय जनता पार्टी के लोगों को इंवॉल्व करने का षड्यंत्र रचा गया, जिससे कि उस क्षेत्र में होने वाली गतिविधियों के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर रहा था, कांग्रेस की राष्ट्रीय महामंत्री प्रियंका गांधी को 922 रूपये खर्च करके मैंने रेल की टिकट उनको भेजी थी, इस तरह की हरकतों पर रोक लगे और उन्होंने पूरी मनगढ़ंत कहानी जो बनाकर एफआईआर दर्ज की। जिस समय अर्चना जहां पर सुसाइड करती है वहां पर घर से 1 किलोमीटर बाद में पुलिस को सूचना दी जाती है, और हमने उसी समय कहा कि यह डॉक्टर की हैंडराइटिंग नहीं है, मैंने यहां के गृह सचिव को एफएसएल रिपोर्ट के लिए पहले से ही निवेदन किया था कि मुझे राजस्थान की सरकारी लैब पर विश्वास नहीं है, मुझे लगता है कि सरकार उसको मैनेज करने की कोशिश कर रही है, क्योंकि सरकार इस केस में अपनी की गई गलतियों को दबाने के लिए यह सारा षड्यंत्र रच रही है।

गोठवाल ने बताया कि 302 की एफआईआर पुलिस ने की, जो डॉक्टरों के खिलाफ होती ही नहीं है, पुलिस ने सारी सूचनाएं मिलने के बाद भी सुसाइड माना, यह इस बात को अंकित करता है इस केस के और भी कई सारे तथ्य हैं, जो पुलिस के सामने आना आवश्यक है। पुलिस को, एसएचओ को, सस्पेंड करने के बाद भी उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं होती है, जबकि सरकार ने परसादी लाल मीणा ने मीडिया के समक्ष कहा कि पुलिस अगर 302 में मामला दर्ज नहीं करती तो यह हादसा नहीं होता। उसके बाद भी इस केस का इन्वेस्टिगेशन अधिकारी पब्लिकली बोलते हैं कि जो सरकार मुझे कहेगी मैं वेसा ही करूंगा।

सरकार ने जयपुर ग्रामीण रेंज के आईजी को एक इन्वेस्टिगेशन टीम मंे गठित किया और केस के अंदर उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के लोगों को फंसाया और उनको सरकार ने 15 अगस्त पर सम्मानित भी किया।
अगर सरकार चाहती है कि इस केस के अंदर आशा बेरवा को और अर्चना शर्मा को और जो मेरे साथ 10 लोग है जो 50 दिन जेल में रहकर आये है, उन सब को न्याय मिले तो उसकी सीबीआई जांच की अनुशंसा करें और संस्पैंड पुलिस अधिकारी के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज हो और ऊनपर सरकरार कार्यवाही करें।

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