भ्रष्ट अधिकारी-कर्मचारियों के खिलाफ 98 मामलों में अभियोजन स्वीकृति क्यों नहीं दी, बताए भजनलाल सरकार
जयपुर। भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात करने वाली भजन लाल सरकार ने भ्रष्ट अधिकारी-कर्मचारियों के 98 मामलों में पिछले 8 महीने के दौरान भी अभियोजन स्वीकृति क्यों नहीं दी। जिस अधिकारी ने नियमानुसार 30 दिन से ज्यादा समय तक इन प्रकरणों को लंबित रखकर भ्रष्टाचारियों को बचाने का प्रयास किया, उसके खिलाफ सरकार ने क्या कार्यवाही की। इसका जवाब सदन में दिया जाना चाहिए। यह सवाल पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस विधायक शांति धारीवाल ने गुरुवार को प्रश्नकाल के दौरान राज्य विधानसभा में उठाया।
धारीवाल ने सरकार से मिले जवाब का हवाला देते हुए सदन को बताया कि 1 जनवरी, 2023 से 31 मई, 2024 तक अभियोजन स्वीकृति के कुल 113 प्रकरण लंबित होना बताया गया। इनमें से 10 प्रकऱणों में सरकार ने अभियोजन स्वीकृति देने से इंकार दिया। जबकि 5 प्रकऱणों में अभियोजन की मंजूरी दी गई है। बाकी 98 प्रकरण ऐसे हैं जिनमें अभियोजन स्वीकृति नहीं दी गई है। इन प्रकरणों को संबंधित अधिकारी द्वारा 30 दिन से ज्यादा समय तक लंबित रखा गया है, जबकि निर्धारित अवधि में इनका निस्तारण होना चाहिए था।
इससे पहले धारीवाल ने सरकार से यह भी जानना चाहा कि 1 जनवरी, 2023 से 31 मई, 2024 तक भ्रष्ट अधिकारियों के कितने मामले अभियोजन स्वीकृति के लिए केंद्र सरकार को भेजे गए। इनमें से कितने मामलों में अभियोजन स्वीकृति जारी कर दी गई है और कितने मामले पेंडिंग हैं। इसके जवाब में मंत्री ने कहाकि वे इसकी जानकारी करवाने के पश्चात संबंधित सदस्य को अवगत करवा देंगे।
इससे पहले सवाल के जवाब में राज्य सरकार की ओऱ से सदन को बताया गया कि 1 जनवरी, 2023 से 31 मई, 2024 तक भ्रष्टाचार के मामलों में जांच और कार्रवाई के लिए भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को कुल 10228 परिवाद प्राप्त हुए। इनमें से 254 परिवादों में जांच के लिए संबंधित विभाग से अनुमति मांगी गई है। पद के दुरुपयोग से संबंधित इन 254 परिवादों मेंं से 20 परिवादों में ही विभागों से जांच की अनुमति मिली है।
रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े गए 182 भ्रष्टाचारियों की भी नहीं दी अनुमतिः
सवाल के जवाब में मंत्री ने सदन को बताया कि 31 मई, 2024 तक रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़े गए कुल 182 अधिकारी-कर्मचारियों की अभियोजन स्वीकृति के मामले अभी पेंडिंग हैं। जांच औऱ परीक्षण के उपरांत नियमानुसार इन सभी मामलों में गुणावगुण के आधार पर अभियोजन स्वीकृति जारी की जाएगी। इसके साथ ही जिस अधिकारी ने 30 दिन से ज्यादा समय तक अभियोजन स्वीकृति के मामलों को पेंडिंग रखा, उस पर भी नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।