भाजपा रोक नहीं पाएगी नीतीश को
नीतीश कुमार का भाजपा से अलग होना अब वक्त की बात है। दोनों में दूरी इतनी बढ़ गई है कि अब संबंध टूटना तय है। मंगलवार को जदयू के विधायकों की बैठक है और दूसरी ओर राजद के विधायकों की भी बैठक होनी है। जदयू की बैठक में नीतीश कुमार भाजपा से तालमेल तोड़ने की जानकारी अपने विधायकों को दे सकते हैं। नीतीश कुमार और लालू प्रसाद में तालमेल की बात हो चुकी है। यह बात दो महीने पहले ही हो गई थी और जून में ही यह घटनाक्रम होना था, जो अब हो रहा है। जानकार सूत्रों के मुताबिक लोकसभा की 40 सीटों के बंटवारे तक की बातचीत जदयू और राजद में हो गई है। लालू प्रसाद इस बात के लिए तैयार हो गए हैं कि दोनों पार्टियां बराबर सीटों पर लड़ेंगी। अभी थोड़े समय के लिए नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाए रखने पर भी वे सहमत हो गए हैं।
इस योजना के तहत ही एमआईएम के चार विधायकों को तोड़ कर राजद में शामिल कराया गया ताकि राजद सबसे बड़ी पार्टी बने। उससे पहले भाजपा सबसे बड़ी पार्टी थी और लालू व नीतीश दोनों को इस बात की चिंता थी कि अगर जदयू और भाजपा का संबंध टूटता है तो सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर भाजपा राज्यपाल के पास जाकर सरकार बनाने का दावा कर सकती है और राज्यपाल भाजपा के किसी नेता को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला सकते हैं। अब ऐसी संभावना नही है।
तभी भाजपा दोनों पार्टियों के तालमेल में और नई सरकार बनने की संभावना में किसी तरह का फच्चर डालने की तैयारी कर रहे हैं। पहला फच्चर यह पड़ा है कि विधानसभा के स्पीकर विजय सिन्हा कोरोना संक्रमित हो गए हैं। ऐसे में विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने में बाधा आ सकती है। राज्यपाल इस आधार पर सत्र बुलाने का फैसला टाल सकते हैं। भाजपा के नेता राष्ट्रपति शासन लगाने की संभावना भी जता रहे हैं। पर मुश्किल यह है कि महागठबंधन और भाजपा के साथ आने से विधायकों की संख्या इतनी बड़ी हो जाएगी कि उसे सरकार बनाने से रोका नहीं जा सकेगा। महागठबंधन के पास अभी 115 विधायक हैं और नीतीश कुमार के 45 विधायकों के साथ आने से संख्या 160 पहुंच जाएगी, जबकि बहुमत का आंकड़ा 122 का है।