मोदी के नशे का तोड़ क्या?
भक्त उधर भी हैं। भक्त इधर भी। मगर फर्क है। उधर के भक्त मोदीजी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते मगर इधर के भक्त किसी काम के नहीं। वे राहुल को याइंडिया गठबंधन को फायदा पहुंचाने के बदले केवल मोदी विरोध से खुश होते रहते हैं। मगर इस खुश होने से कोई फायदा नहीं। नरेंद्र मोदी कमजोर नहीं होते हैं। और बात भक्तों की क्या कांग्रेस के बड़े नेता भी या दूसरे विपक्षी दलों के नेता भी केवल मोदी विरोध को ही हथियार बनाए हुए हैं लेकिन मोदी के और बढ़ते जादू, उनके नशे का तोड़ नहीं ढूंढ पा रहे।
यही विपक्ष का असली मसला है। सोमवार को प्राण प्रतिष्ठा के बाद मंगलवार को एक बड़े अंग्रेजी अख़बार ने अपने फ्रंट पेज पर केवल फोटो छापा। पूरे पेज पर रामलला के साथ मोदी जी। बाकी अखबारों ने गर्भ गृह के योगी जी, मोहन भागवत सबके फोटो छापे। मगर असली फोटो मोदी जी का है। यही चुनाव में चलेगा। अब यह बात किसी से छुपी नहीं है कि मोदी जी अपना तीसरा चुनाव मंदिर के नाम पर ही लड़ेंगे। उनका लक्ष्य देश का सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहना है। वैसे तो 1947 से जोड़ा जाए तो पंडित नेहरू 16 साल से अधिक प्रधानमंत्री रहे। लेकिन अगर 1952 के पहले आम चुनाव से जोड़ा जाए तो सबसेअधिक प्रधानमंत्री रहने का रिकार्ड इन्दिरा गांधी के नाम है। मोदी एक के बाद एक चुनाव जीतकर उसी को तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं।
धर्म का नशा जिसे दुनिया का सबसे तेज और गहरे प्रभाव वाला नशा कहा जाता है अब पूरी तरह फैला दिया गया है। इसका तोड़ ढूंढे बिना कांग्रेस या इन्डिया गठबंधन मोदी का मुकाबला नहीं कर सकती। कांग्रेस ने बहुत कमेटियां बना रखी हैं। पोलिटिकल, विचार, स्ट्रेटेजी पता नहीं क्या क्या ! मगर अभी हुए विधानसभाओं में तीन जीते हुए राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ हारने से मालूम पड़ा कि न तो कोई कमेटी काम कर रही है और न किसी नेता का प्रभाव। जैसे बॉल को देखने के बदले कहींऔर देखने लगने से हाथ में आया कैच छुट जाता है वैसे ही कांग्रेस ने यह तीनों राज्य गंवा दिए। और इससे सबक क्या लिया? कुछ नहीं। हार की समीक्षा के लिए हर राज्य की मीटिंग हो गई। मगर नतीजा क्या निकला?
अपने प्रवक्ता को नोटिस दे दो! किस लिए? क्यों कि उसने कहा कि हमें जगह जगह टीवी में जाना पड़ता है वहां अगर एंकर वह हो जिसका इंडिया गठबंधन ने बायकाट कर रखा है तो हम डिबेट में शामिल नहीं हो सकते। नहीं होते। मगर फिर वे लोग पूछते हैं कि जब अंग्रेजी चैनल की एंकर नविका कुमार जिसकाआपके गठबंधन इंडिया ने बाकायद लिस्ट निकालकर बायकाट किया था उसे कांग्रेसके नेता कमलनाथ हवाई जहाज में बिठाकर इंटरव्यू क्यों दे रहे थे तो हमारे पास कोई जवाब नहीं होता है। प्रवक्ता आलोक शर्मा की इस बात पर कांग्रेस के मीडिया डिपार्टमेंट ने उन्हें नोटिस दे दिया। कांग्रेस में इस बात कड़ा विरोध हो रहा है कि काम करने वाले फ्रंट पर लड़ने वाले फुट सोल्जर(अग्रिम पंक्ति के सिपाही) से सवाल पूछा जा रहा है और जनरल बनकर युद्ध हराने वाले से किसी की कुछ कहने की हिम्मत नहीं है।
2014 का चुनाव भी हराने वालों से भी कांग्रेस कुछ नहीं पूछ सकी। 2019 में तो राहुल जो पार्टी अध्यक्ष थे उस समय उन्होंने खुद कहा कि मेरा साथ किसी ने नहीं दिया उस समय भी पार्टी खामोश रही और अब जब लगातार तीसरा चुनाव सिर पर है तो पार्टी फ्रंट पर लड़ने वालों का मनोबल तोड़ रही है। क्या कांग्रेस को मालूम है कि भाजपा के प्रवक्ता जो तर्क में, तथ्य में, भाषाशैली प्रवाह में आलोक शर्मा का मुकाबला नहीं कर पाते थे वे कांग्रेस द्वारा ही उन्हें कटघरे में खड़ा करने पर कितने खुश हैं? वह एंकर जिनसेआलोक शर्मा सीधे कह देते थे कि भाजपा के प्रवक्ता की तरह बात मत कीजिए पत्रकार की तरह कीजिए उन्हें नोटिस मिलने पर कितने खुश हैं?
कमलनाथ को कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया जाना चाहिए। और जैसा कि मध्यप्रदेश में उन्होंने खुद को भावी मुख्यमंत्री कहलवाना शुरू कर दिया था वैसे ही यहां भी भावी प्रधानमंत्री कहलवाने लगेंगे। और उनके बेटे नकुल नाथ ने जैसे वहां उनके शपथ ग्रहण की तारीख बता दी थी यहां भी प्रधानमंत्री के तौर पर उनके शपथ ग्रहण की तारीख बता देंगे। राहुल बेकार में यात्रा कर रहे हैं। डरो मत का नारा दे रहे हैं। कह रहे हैं कि भाजपा में तानाशाही है हमारे यहां कोई भी कार्यकर्ता हमसे सीधा सवाल कर सकता है। वहां उनके सबसे दमदार प्रवक्ता से उनकी ही पार्टी कह रही है चुप रहिए।
जो काम भाजपा और गोदी मीडिया नहीं कर पाई वह कांग्रेस ने ही कर दिया। धन्य हो पार्टी। वह यह भी भूल गई कि अभी तीन साल पहले ही उसका प्रवक्ता राजीव त्यागी ऐसे ही बहादुरी से गोदी मीडिया के अपमान जनक सवालों से जुझते हुए लाइव डिबेट में ही अपनी जान खो बैठा था। अब कांग्रेस उन्हें याद भी नहीं करती है। तो क्या कांग्रेस ऐसे ही चलेगी! क्या राहुल को पता होता है कि कांग्रेसमें क्या चल रहा है? उन्हें यात्रा पर लगा दिया है। यात्रा अच्छी चल रहीहै। खूब भीड़ आ रही है। पहली यात्रा में भी आई थी। उसमें खूब मध्य प्रदेश और राजस्थान रहे थे। मध्य प्रदेश के लिए तो दावा किया था कि हम जीत रहे हैं। 150 सीट बोलीं थीं। मगर मध्य प्रदेश सबसे बुरी तरह हारे।
यात्रा अच्छी चीज है। मगर चुनावी नतीजे न दे तो किस काम की। केवल राहुल को उलझाए रखना! समय लगातार कठिन से कठिनतर होता जा रहा है। असम में रोज भाजपा के मुख्यमंत्री उन्हें परेशान कर रहे हैं। मंदिर नहीं जाने दे रहे।यूनिवर्सीटी नहीं। गोहाटी शहर में नहीं। हर कदम पर बाधा। यह भविष्य के खतरनाक संकेत हैं। अगर तीसरी बार भी मोदी जीत गए तो फिर कांग्रेस के नेता अपने कार्यकर्ताओंसे ही लड़ते रह जाएंगे। भाजपा से लड़ने की हिम्मत उनकी नहीं पड़ेगी। मोदीजी से लड़ने का तो सवाल ही नहीं है। उनसे एक अकेले लड़ने वाले राहुल को ऐसे ही खर्च कर देंगे।
सवाल है भाजपा की मोदी की धर्म की राजनीति का तोड़ क्या? मुकाबला कैसे ?जनता परेशान है। मगर इलाज धर्म में ही ढुंढ लेती है। कोई और इलाज उसकेपास पहुंचाया ही नहीं जा रहा। जैसे कहते है कि वीर बिहिन मही मैं जानी! राजा जनक ने कहा था। तो क्या वैसे ही बुद्धि, आइडिए, पोलिटिकल सेंस से विहीन आज विपक्ष हो गया है?वीरता में, साहस में, निर्भयता में तो राहुल का कोई मुकाबला नही है। विपक्ष के और भी नेता ऐसे हैं। उद्धव ठाकरे, लालू यादव, ममता बनर्जी,केजरिवाल ऐसा ही साहस दिखा रहे हैं। और भी होंगे जिनका साहस और सामने आए।मगर अब जब चुनाव की घोषणा कभी भी हो सकती है उस समय दो बाते सबसे जरूरी हैं।
एक, विपक्ष की एकता इंडिया गठबंधन एकजुट साफ दिखना चाहिए। कोई जरा सा भी संदेह नहीं। तभी जनता यकीन करेगी। दूसरे कुछ नए आइडिए। मतलब जनता सेजुड़े मुद्दों को किस तरह विपक्ष पेश करे की वह उसके नशे को तोड़ सके। रोजी रोटी का सवाल बहुत बड़ा है। इससे बड़ा कोई सवाल ही नहीं होता। मगरविपक्ष इसे सही तरीके से पेश ही नहीं कर पा रहा। रोजी रोटी अगर एक बारजनता के मन में घुस गई तो उसके सारे नशे उतर जाएंगे।
मगर क्या विपक्ष यह कर पाएगा? समय कम है। मीडिया एकदम विरोधी।कार्यकर्ताओं के हौसले खुद कांग्रेस तोड़ रही है। मुद्दा जनता तक पहुंचेगा कैसे! मुश्किल सवाल है। मगर असंभव नहीं। विपक्ष याद रखे भूखे भजन न होई गोपाला!बेरोजगार, महंगाई की मार से त्रस्त जनता ज्यादा समय तक भजन नहीं कर सकती।यही सही और आखिरी समय है जब उसे जगा दिया जाए। पूरी ताकत से वह सुबह आ गईका सामूहिक नाद करके!