केजरीवाल: असल हिंदू योद्धा!
आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भारतीय मुद्रा पर लक्ष्मी और गणेश की तस्वीर लगाने का सुझाव देकर देश की राजनीति में हलचल मचा दी है। इससे उनकी राजनीति की नए सिरे से व्याख्या होने लगी है। लेकिन असल में यह कोई नई राजनीति नहीं है, बल्कि केजरीवाल बरसों से जो राजनीति कर रहे हैं उसी का एक नया दांव है। राजनीति शुरू करने से पहले, जब वे सामाजिक कार्यकर्ता थे और भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे, तब भी वैचारिक रूप से वे हिंदुत्व और राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ की ओर से प्रचारित व स्थापित की गई राष्ट्रवाद के सिद्धांत को मानने वाले थे। राजनीति भी उन्होंने इसी लाइन पर की। यह एक भ्रम था, जो थोड़े समय बना रहा कि आम आदमी पार्टी उत्तर विचारधारा यानी पोस्ट आइडियोलॉजी पार्टी है और गवर्नेंस के मॉडल पर चलती है। यह भ्रम टूटे भी काफी समय हो गया।
याद करें, जब आम आदमी पार्टी 2015 में दिल्ली विधानसभा का अपना दूसरा चुनाव लड़ रही थी तब एक वीडियो लीक हुआ था, जिसमें केजरीवाल बड़ी हिकारत के साथ कह रहे हैं कि मुसलमानों के लिए चार टिकट पर्याप्त है। उस समय भी वे अपनी विचारधारा के हिसाब से ही राजनीति कर रहे थे। वे मान रहे थे कि मुसलमान कहां जाएंगे? कांग्रेस लगभग खत्म हो गई है तो मुसलमान भाजपा विरोध की अपनी मजबूरी में आप को ही वोट देंगे, इसलिए उनको ज्यादा टिकट देने की जरूरत नहीं है। वे नहीं चाहते थे कि मुसलमानों को आबादी के अनुपात में या उससे ज्यादा टिकट देकर वे अपनी छवि कांग्रेस या दूसरी सेकुलर पार्टियों जैसी बनाएं क्योंकि उन पार्टियों के ऊपर मुस्लिमपरस्ती के आरोप लगते रहे हैं। यह मानने की पर्याप्त वजह है कि वह वीडियो जान बूझकर लीक कराया गया था ताकि हिंदू मतदाताओं में यह मैसेज जाए कि भाजपा तो है ही, आप भी उन्हीं की पार्टी है।
इसके बाद यानी 2015 में दिल्ली विधानसभा का चुनाव जीतने के बाद अरविंद केजरीवाल ने कई बार अपनी विचारधारा और पार्टी की लाइन स्पष्ट की। उनकी पार्टी 2020 में दूसरी बार दिल्ली में जीती तो वे कनॉट प्लेस स्थित हनुमान मंदिर गए, पूजा अर्चना की, हनुमान चालीसा का पाठ किया और खुद को कट्टर हनुमान भक्त बताया। कह सकते हैं कि यह उनकी निजी आस्था का मामला था लेकिन बाद में उनकी पार्टी ने हर मंगलवार को सार्वजनिक रूप से हनुमान चालीसा के पाठ का ऐलान किया। यह निजी आस्था का नहीं, बल्कि पार्टी की नीतियों का मामला था। उन्होंने दिल्ली के बुजुर्गों के लिए मुफ्त तीर्थाटन की योजना घोषित की और हाल में गुजरात में उन्होंने ऐलान किया कि अगर उनकी पार्टी जीतती है तो वे गुजरात के लोगों को मुफ्त में अयोध्या के राम मंदिर की यात्रा कराएंगे। केजरीवाल ने दिल्ली में ‘रामराज’ लाने का भी वादा किया है। अपने आंदोलन के दिनों से वे तिरंगा लेकर भारत माता की जय के नारे लगाते थे और अब दिल्ली के स्कूलों में देशभक्ति पाठ्यक्रम शुरू कराया है और साथ ही योगशाला भी शुरू कराई है। पिछले साल दिवाली के मौके पर केजरीवाल ने भव्य दिवाली पूजन का आयोजन किया था। पंडाल लगा कर सार्वजनिक रूप से लक्ष्मी और गणेश की पूजा हुई थी। इस भव्य आयोजन का कई दिन तक प्रचार होता रहा था और इसका सार्वजनिक प्रसारण भी कराया गया।
उनके नए बयान और पुरानी राजनीति में फर्क यह है कि अब तक अरविंद केजरीवाल जो कुछ भी करते रहे थे वह हिंदू मतदाताओं को आकर्षित करने की स्वाभाविक राजनीति की तरह थी। लेकिन रुपए पर लक्ष्मी और गणेश की तस्वीर लगाने का जो सुझाव उन्होंने दिया है वह बहुत असामान्य सुझाव है। केजरीवाल ने यह सुझाव धार्मिक आधार पर नहीं दिया है। उन्होंने यह नहीं कहा है कि भारत हिंदू बहुलता वाला देश है, जिसकी बहुसंख्यक आबादी धन के लिए लक्ष्मी व गणेश की पूजा करती है इसलिए रुपए पर उनकी तस्वीर होनी चाहिए। अगर वे ऐसा कहते तब भी बात समझ में आती। लेकिन उन्होंने कहा है कि इससे भारतीय मुद्रा की स्थिति में सुधार होगा, उसका गिरना रूक जाएगा और वह डॉलर के मुकाबले मजबूत होने लगेगी।
ऐसा कहना उसी तरह है कि दवा की परची या पैकेट पर धन्वंतरि, सुश्रुत या चरक की फोटो लगा दें तो लोग जल्दी ठीक हो जाएंगे या लड़ाकू विमानों पर धनुषधारी भगवान राम या चक्रधारी भगवान कृष्ण की फोटो लगा दें तो दुश्मन हमारा मुकाबला नहीं कर पाएंगे! भगवान में अपनी गहरी आस्था के बावजूद हर हिंदू के लिए कर्म और पुरुषार्थ सबसे महत्वपूर्ण है, जिसका संदेश भगवान कृष्ण ने गीता में दिया है। केजरीवाल इसकी बात नहीं कर रहे हैं। उन्होंने आईआईटी से पढ़ाई की है और आयकर विभाग के बड़े अधिकारी रहे हैं लेकिन रुपए की गिरती स्थिति को संभालने के लिए कोई आर्थिक सुझाव देने की बजाय वे उस पर लक्ष्मी व गणेश की फोटो लगाने का सुझाव देते हैं।
उन्होंने यह सुझाव अज्ञानता में या भूलवश नहीं दिया है, बल्कि सोच समझ कर और एक लक्षित मतदाता समूह के लिए दिया है। ऐसा मतदाता समूह, जो डॉक्टर की परची पर श्रीहरि लिखने के सुझाव से आह्लादित होता है, जो दुनिया के विकसित देशों से खरीदे गए लड़ाकू विमानों की पूजा करने और नारियल फोड़ने के धार्मिक कर्मकांड से प्रफुल्लित होता है और जो राम से ज्यादा राम नाम की महिमा में यकीन करता है और मानता है कि जैसे भगवान राम का नाम लिख देने से समुद्र में पत्थर तैरने लगे थे वैसे ही रुपए पर लक्ष्मी और गणेश की तस्वीर लगा दी जाएगी तो भारतीय मुद्रा सबसे मजबूत हो जाएगी, उसको ध्यान में रख कर केजरीवाल ने यह बयान दिया है। अब वे सहज व सामान्य हिंदू की बजाय कट्टरपंथी और बुद्धिनिरपेक्ष हिंदू को लक्ष्य कर रहे हैं और यह भाजपा के लिए बड़े खतरे और चिंता की बात हो सकती है। आखिर भाजपा भी उसी मतदाता समूह के दम पर फल-फूल रही है।
यह वो समूह है, जो महंगाई, बेरोजगारी, गरीबी जैसी आर्थिक असुरक्षा और चीन के भारत की जमीन कब्जा करने जैसी सामरिक असुरक्षा की सच्चाई के बावजूद भाजपा को इसलिए वोट करता है क्योंकि उसे यकीन है कि भाजपा देश को मजबूत कर रही है और दुनिया में भारत का नाम बढ़ा रही है। केजरीवाल उसी मतदाता समूह को लक्ष्य कर रहे हैं। उनको लग रहा है कि कट्टर हिंदुत्व के ब्रांड की राजनीति में ज्यादा गुंजाइश है। अभी इस ब्रांड की राजनीति सिर्फ भाजपा कर रही है। एक बड़ी पार्टी शिव सेना यह राजनीति करती थी तो भाजपा ने उसे काफी कमजोर कर दिया है। अब भाजपा के सामने आम आदमी पार्टी की चुनौती पैदा हो रही है। इससे देश की राजनीति काफी दिलचस्प हो जाएगी।