सोचने पर मजबूर करती स्वतंत्र पत्रकार राजेन्द्र सिंह गहलोत की पुस्तक ‘शक्ति का वंदन, शिव का अभिनंदन’
अरुण कुमार
स्वतंत्र पत्रकार एवं लेखक राजेन्द्र सिंह गहलोत अपनी एक अलग स्वतंत्र सोच के कारण मीडिया जगत में अलग पहचान रखते हैं। मीडिया बिकता है, खरीदोगे? पुस्तक के लेखन ने इनको मीडिया जगत के लेखकों की प्रथम पंक्ति में लाकर खड़ा कर दिया।
इनकी नई पुस्तक ‘शक्ति का वंदन, शिव का अभिनंदन ‘ पाठकों को सोचने पर मजबूर करती है।
राजेन्द्र सिंह गहलोत जब साक्षात्कार लेते हैं तो साक्षात्कार देने वाला कितने ही बड़े पद पर क्यों न हो, कितना ही बुद्धिमान क्यों न हो, वह अपना सामाजिक मुखौटा हटाकर अपने आंसू जगजाहिर कर ही देता है।
इस पुस्तक में गहलोत ने 17 साक्षात्कार लिये हैं।
मंगलम ग्रुप के चेयरमैन एन.के.गुप्ता का साक्षात्कार बताता है कि सफलतम व्यक्ति का जीवन भी टीसभरा हो सकता है।
मंगलम प्लस मेडिसिटि अस्पताल की डायरेक्टर एवं फोर्टी वुमन विंग की पूर्व अध्यक्ष नेहा गुप्ता का साक्षात्कार दर्शाता है कि धनी परिवारों में भी संवेदनशील, बुद्धिमान और अहंकार रहित महिला हो सकती है जो समाज सेवा को बिजनेस मानने वालों पर करारा प्रहार करते हुए कहती है कि आज लोगों ने समाजसेवा को भी बिजनेस बना दिया है, जबकि बिजनेस करते हुए भी समाजसेवा की जा सकती है।
चार बार कलक्टर रह चुके राजस्थान सरकार के वित्त सचिव (व्यय) सीनियर आईएएस नवीन जैन सरकारी नौकरी करते हुए भी समाजसेवा करते हैं, बेटियां अनमोल है, गुड टच, बेड टच कार्यक्रम करते हैं, सेटरडे सोसायटी को देते हैं यह उनकी प्रतिष्ठा में वृद्धि करता है, वह 110 स्टिंग ऑपरेशन कर 350 दोषियों को जेल में डालते हैं, वह अति उत्साह में नहीं आकर गेहूं के साथ धुन को पिसने से बचा पाएंगे तो उनकी प्रतिष्ठा में और भी वृद्धि होगी।
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष सरदार अजयपाल सिंह जब कहते हैं कि ईश्वर को इधर-उधर करने में समय नहीं लगता, वह पल भर में चौराहे पर भीख मांगने वाले को ए.सी. गाड़ी में बैठा सकता ह और ए.सी. गाड़ी में बैठे धन्ना सेठ को चौराहे पर खड़ा करके भीख मंगवा सकता है , तो सुकून मिलता है क्योंकि संवेदना राजनेताओं और धनिकों में लुप्त हो गई है।
सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ राजस्थान के लोकपाल एवं पूर्व जिला एवं सेशन न्यायाधीश, राजस्थान विधानसभा के पूर्व सेक्रेटरी पृथ्वीराज नारी आंदोलन करने वालों की हकीकत उजागर करते हैं कि दुनिया को दिखाने के लिए इनका मुखौटा कुछ और होता है, असल जिंदगी में कुछ और, ये हिप्पोक्रेट हैं, महिलाओं के पक्ष में कसीदे पढ़ने वाले इन लोगों से अकेले में बात करो तो महिलाओं के लिए इनकी सोच, भाषा, इनका जीवन समाज के सबसे निम्न स्तर के व्यक्ति से भी गया बीता मिलेगा।
राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष एवं राजस्थान अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व चेयरमैन जसबीर सिंह कहते हैं कि पश्चिमी सोच, पहनावे और बाजारीकरण की अंधी नकल ने भारत में भी नारी स्वतंत्रता के नारे लगवा दिये, वहां की बीमारी यहां फैला दी, फलस्वरुप नारी स्वतंत्रता के नाम पर लेस्बियन समाज का जन्म हुआ, लिव इन रिलेशनशिप का जन्म हुआ जिसमें आधुनिक नारी को खुद भी नहीं पता होता कि उसके बच्चे के पिता का नाम क्या है? समाज में अकेले पुरुष की इज्जत नहीं होती, उसी तरह अकेली स्त्री की भी कोई इज्जत नहीं होती, यह बात माताएं, बहनें जितनी जल्दी समझ जाए उतना अच्छा है।
फोर्टी वुमन विंग की अध्यक्ष, महिला उद्यमी डॉ. अलका गौड़ मानती है कि आज 15 प्रतिशत महिलाएं भी लीडरशिप के लिए तैयार नहीं है, असल हुनर गांवों में बसता है, लेकिन हमने महानगरों को ही केंद्र बना रखा है, गांवों में कोई जाता ही नही।
साध्वी ऋतम्भरा की शिष्या प्रियंका परमानंद कहती है कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ महज नारा है, जब मैं 15 दिन की थी तो मुझ बेटी को कुएं में डालकर मरने से बचाने के लिए मेरी मां को घर छोड़कर उड़ीसा से वृंदावन आना पड़ा, जब पीएमटी की परीक्षा देने पर मुझे प्राइवेट मेडिकल कॉलेज महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज जयपुर अलाट हुआ तो फीस के पैसे नहीं थे, समाज का कोई योगदान नहीं रहा, न बेटी बचाने में, न बेटी पढ़ाने में। बेटी बच भी गई तो पैसों के अभाव में पढ़कर डाक्टर नहीं बन पाएगी।
इस तरह राजेन्द्र सिंह गहलोत की पुस्तक ‘शक्ति का वंदन, शिव का अभिनंदन ‘ समाज के पाखंड को उजागर करते हुए सोचने पर मजबूर करती है।