जीडीपी के मामले में प्रदेश को टॉप 10 में बताने का दावा झूठा, प्रदेश को आर्थिक कमजोर और कर्जदार बनाया : गजेन्द्र सिंह शेखावत

जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के विजन 2030 पर पलटवार करते हुए शुक्रवार को भाजपा प्रदेश कार्यालय पर केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने प्रेसवार्ता को संबोधित किया। इस दौरान उन्होने सीएम गहलोत के विजन को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि प्रदेश के सात करोड़ लोग आज मुख्यमंत्री गहलोत के विजन 2030 पर सवाल खड़े कर रहे हैं। पूरे पांच साल बीत जाने के बाद आखिरी तीन महिनों में ही उन्हे यह विजन अचानक कैसे याद आया?

प्रदेश की जनता ने उन्हे 15 साल तक मुख्यमंत्री के नाते काम करने का अवसर दिया तीन बार मुख्यमंत्री बनाया, 46 साल की उम्र से 71 साल की उम्र तक उन्हे कभी किसी विजन की याद क्यों नहीं आई ? खुद के गृह जिले में सीएम आज तक पेयजल की सुचारू व्यवस्था नहीं करा पाए प्रदेश की जनता तो उनसे उम्मीद भी क्या रखेगी ?
यदि उन्हे जनता की इतनी ही चिंता थी तो 2018 में सरकार बनने के साथ ही विजन बनाकर काम क्यों नहीं किया ?

केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि सीएम गहलोत को यह पता होना चाहिए कि नकल में भी अक्ल की जरूरत होती है। बिना किसी आधार के योजनाओं को शुरू करने से अच्छा होता यदि इन्हे वह धरातल पर उतारने की कोशिश करते। प्रदेश की जनता निश्चित रूप से इस सरकार को उखाड़ फ़ेंकने का मानस बना चुकी है, इसलिए अपनी विफलताओं से ध्यान भटकाने के लिए और अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए विभिन्न योजनाओं का सहारा ले रहे हैं। प्रदेश के व्यापार, व्यवसाय, खनिज संपदाओं,, शिक्षा, रोजगार के नए अवसर सृजित करने सहित सभी क्षेत्रों में विफल रहने के बाद, इन सारे सेक्टर से सुझाव माँगने का प्रयास कर रहे हैं। हालांकि मैं इस विषय पर बात नहीं करूंगा साढ़े 3 करोड़ सुझाव आने की बात कही गई है, जबकि यह विजन पूरी तरह ब्यूरोक्रेसी द्वारा तैयार किया गया, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के आंकड़े एकत्रित किए गए हैं। अपने 2018 के जनघोषणा पत्र को पूरा करने में फेल रहने पर अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए नए कलेवर में विजन 2030 पेश किया है।

केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह षेखावत ने प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि समझ नहीं आता ये कांग्रेस का मेनिफेस्टो है, ये सरकार का विजन है, या गहलोत जी का व्यक्तिगत घोषणा पत्र है। अपने फेल्योर के बावजूद अपनी पीठ खुद ही थपथपा रहे हैं, राजस्थान को जीडीपी के नाम पर टॉप स्टेट बताने का झूठ साफ पकड़ में आता हैं क्योंकि राजस्थान टॉप दस में भी षामिल नहीं है। झूठे आंकड़े देकर प्रदेश की जनता को गुमराह करने की कोशिश है जिसका कोई रोडमैप इनके पास नहीं है। इस भ्रम जाल में राजस्थान की जनता नहीं आने वाली है। कांग्रेस सरकार को जिस तरह हमने 2003 और 2013 में उठाकर फेंका था उसी तरह आगामी 2023 में उठाकर फेंकेगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाल किले से घोषणा की थी कि हम 2024 तक देष के हर घर तक पेयजल पहुंचाने का काम करेंगे। हमने रोडमैप बनाकर उस दिशा में काम किया और ‘‘हर घर जल, हर घर नल’’ योजना शुरू की। कोरोना की आपदा के बाद भी हमने 3 करोड़ 23 लाख से 13 करोड़ 50 लाख के आंकड़े को पार किया। हमने 10 करोड़ से ज्यादा माता-बहनों के सर से मटके का बोझ उतारने का काम किया। जलशक्ति मंत्रालय ने 30 हजार करोड़ के संसाधन उपलब्ध करवाए, गुजरात, महाराष्ट्र, तेलंगाना, पंजाब, हिमाचल, हरियाणा, पांडिचेरी, दादर नगर हवेली, इन सब में 100 प्रतिशत के लक्ष्य को हासिल किया है। जबकि इस योजना के तहत राजस्थान सरकार के भ्रष्टाचार के चलते यहां 11 प्रतिशत से लेकर 40 प्रतिषत ही काम हो पाया है, जिसके कारण राजस्थान इस योजना में नीचे से तीसरे पायदान पर हैं।

केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह षेखावत ने प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि विजन 2030 में राजस्थान को शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, एग्रीकल्चर, औद्योगिक प्रगति, प्रशासनिक सुधार, ग्रामीण विकास में मॉडल स्टेट बनाने का दावा कर रहे है जबकि वास्तविकता यह है कि, शिक्षा विभाग में स्कूलों की बिल्डिंग के खस्ता हालात हैं, 22प्रतिशत स्कूलों में बालिकाओं के टॉयलेट नहीं, 30 प्रतिशत स्कूलों में कम्प्यूटर नहीं और नये कॉलेज किराये के भवनों में चल रहे हैं जिनमें 90 प्रतिशत कॉलेजों में प्रिंसिपल की नियुक्ति नहीं की गई। उच्च शिक्षा की बात करें तो लगभग 10 हजार पद खाली है, टीचर्स की डी.पी.सी. नहीं हुई और सेटअप परिवर्तन, स्टाफिंग पैटर्न तय नहीं हुआ मेधावी छात्राओं को पिछले 4 वर्षाे से लैपटॉप और साइकिल वितरित नहीं की गई। इसके अलावा 3050 अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोले गये लेकिन इन स्कूलों के पास खुदकी बिल्डिंग नहीं है, वहीं 52 प्रतिशत अंग्रेजी माध्यम के योग्य शिक्षक नही है। उन्हें अंग्रेजी के शब्दों की स्पेलिंग और ग्रामर का ज्ञान ही नहीं है।

केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि यदि हम स्वास्थ्य के क्षेत्र में बात करें तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आयुष्मान भारत योजना की शुरूआत 2018 में की थी, लेकिन गहलोत सरकार ने 2021 तक इस योजना को प्रदेश में चालू नहीं किया। इसके बाद आयुष्मान भारत योजना का नाम बदलकर चिरंजीवी योजना रखा और बीमा राशि को पांच लाख से बढ़ाकर 10 लाख करने का ढोंग किया। इस योजना का कोई लाभार्थी प्रदेश आयुष्मान में नहीं मिलता है। उसके बाद चुनावी घोषणा के नाम पर ‘‘राईट टू हेल्थ’’ बिल लाया गया, इस बिल का प्रदेश के डॉक्टरों ने विरोध किया तो उन्हे सड़कों पर दौड़ा दौड़ाकर पीटा गया और जमकर लाठीचार्ज किया। विरोध बढ़ने के बाद इस योजना को पूरी तरह कमजोर खोखला करके पेश किया गया, और स्वास्थ्य बीमा राषि को बढ़ाकर 25 लाख कर दिया गया, हैरानी की बात तो ये है कि, आज तक प्रदेश में एक भी इसका लाभार्थी नहीं मिलता। आज प्रदेश के पी.एच.सी. और सी.एच सी. में डॉक्टर्स, सुपर स्पैशिलिटी डॉक्टर्स की बेहद कमी है। नर्सिंग व पैरा मैडिकल स्टाफ की कमी है, बिल्डिंगों की हालत खस्ता है, जाँचों की मशीनें खराब पड़ी है, दवाईयां पूरी नहीं मिल रही है। जनता बाहर से जाँच कराने व दवाई खरीदने पर मजबूर है।

केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि यदि एग्रीकल्चर के क्षेत्र में भी सरकार पूरी तरह फेल साबित हुई है, अभी पिछले दिनों परिवर्तन यात्रा में हमनें प्रदेश के गांवो में जाकर हालात देखें हैं। बिजली कटौती से किसान परेशान है, सरकार प्रदेश की प्रमुख फसल बाजरे की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद करने में विफल रही, किसानों को हरियाणा जाकर फसल बेचनी पड़ी जिससें किसानों को लगभग 8 हजार करोड़ रूपये का नुकसान हुआ। गहलोत सरकार अपने वादे के अनुसार किसानों का सम्पूर्ण कर्ज माफ करने में पूरी तरह फेल साबित हुई आज पांच साल बीत जाने के बाद भी प्रदेष के 60 लाख किसान कर्ज-माफी की बाट जो रहे हैं। 19 हजार से अधिक किसानों की जमीन बैंकों द्वारा नीलाम कर दी गई, और हजारों किसानों ने आत्महत्या कर ली। इसके बाद सरकार नींद से तब जागी जब चुनाव में महज तीन माह शेष रहे और विधानसभा में बिल लाकर जमीनों की नीलामी रोकने का कानून पास कराया। भाजपा की पूर्ववर्ती सरकार द्वारा किसानों के बिल पर दी जाने वाली 10 हजार की सब्सिडी को कांग्रेस ने सत्ता में आते ही बंद कर दिया।

केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि यदि हम रोजगार की बात करें तो प्रदेश में 19 बार पेपर लीक हुए, और हैरानी की बात यह कि सरकार खुद इस पेपर लीक में शामिल पाई गई। गहलोत सरकार वादानुसार शिक्षित बेरोजगारों को 3500-4500 रूपये बेराजगारी भत्ता देने में विफल रही। सरकार ने फरवरी 2023 के बजट सत्र में 1,42000 पदों पर ही भर्ती करने की बात की, लेकिन कितनों को नियुक्ति दी इसका कोई आंकड़ा नही बताया। प्रदेश में विभिन्न विभागों में लगभग 8.5 लाख संविदा कर्मचारियों को नियमित करने में भी सरकार पूरी तरह विफल साबित हुई है। गहलोत सरकार राजस्थान में औद्योगिक विकास को गति देने में पूर्ण रूप से विफल रही। बिना किसी बजटीय प्रावधान के सरकार ने नए जिलों का गठन कर दिया जिसमें दूदू जैसे जिलों का गठन कर दिया जिसमें महज एक ही तहसील है।
गहलोत सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि हमारे कार्यकर्ताओं ने कहा कि भाईसाहब ये तो हमने प्रयास नहीं किया वरना हमारा गांव भी जिला बन जाता।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *