भ्रष्टाचारः नगर निगम ग्रेटर में RTPP ACT की धज्जियां उड़ाकर ओसवाल कंप्यूटर एंड कंसल्टेंट को पहुंचाया करोड़ों का फायदा, जांच की मांग
नेता प्रतिपक्ष का आरोप- ऑडिट पैरा बनने के बावजूद 5 करोड़ पेनल्टी वसूलने के बजाय ऑडिट पैरा ही रद्द कराने की कोशिश
जयपुर। नगर निगम ग्रेटर में भ्रष्टाचार का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। राजस्थान ट्रांसपेरेंसी इन पब्लिक प्रक्योरमेंट रूल्स 2013 (RTPP Act) की धज्जियां उड़ाकर अफसरों द्वारा चहेती फर्म को फायदा पहुंचाने का मामला अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तक पहुंच गया है।
इस संबंध में निगम के नेता प्रतिपक्ष राजीव चौधरी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नाम लिखे पत्र में मैसर्स ओसवाल कंप्यूटर एंड कंसलटेंट एजेंसी के मामले की उच्च स्तरीय जांच कराए जाने की मांग की है।
चौधरी का आरोप है कि निगम के अफसरों ने इस एजेंसी को भ्रष्ट तरीकों से करोड़ों रुपए का फायदा पहुंचाया है। जबकि इससे नगर निगम को राजस्व हानि हुई है। इधर, नगर निगम ने इस मामले को अब बोर्ड में मीटिंग में रखकर साधारण सभा से मुहर लगवाने की तैयारी कर ली है।
चौधरी के मुताबिक इस फर्म को वर्ष 2005 में ऑनलाइन डाटा, कर्मचारियों के वेतन एवं अकाउंट और राजस्व करों से संंबंधित स्टेशनरी का काम 5 साल के लिए दिया गया था। नियमानुसार विशेष परिस्थितियों में इसकी अवधि अधिकतम 2 साल और बढ़ाई जा सकती थी। लेकिन, मेयर और अफसर मिलकर नए टेंडर किए बिना ही इस फर्म की कार्य अवधि बढ़ाते जा रहे हैं।
पत्र के मुताबिक वर्ष 2016-17 में एक ऑडिट पैरा बना था। इसके मुताबिक फर्म से बढ़ी हुई राशि वसूल की जानी थी। लेकिन, भ्रष्ट अफसरों ने यह राशि वसूली के बजाय ऑडिट पैरा के बावजूद उसकी दरों में 20 प्रतिशत बढ़ोत्तरी की फाइल चला दी। लेकिन, तत्कालीन आयुक्त यज्ञमित्र सिंह देव ने इस मामले में सूचना एवं प्रौद्योगिकी निदेशालय (DOIT) से मार्गदर्शन मांगे जाने को फाइल पर लिख दिया। लेकिन, सैटिंग के चलते निगम के भ्रष्ट अफसरों ने उस फाइल को ही दबा दिया।
नए आयुक्त महेंद्र सोनी पहुंचा रहे फर्म को फायदाः
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लिखे पत्र में नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष राजीव चौधरी का आरोप है कि नए आयुक्त महेंद्र सोनी इस फर्म को नियम विरुद्ध फायदा पहुंचा रहे हैं। क्योंकि उन्होंने ही मेयर से फाइल पर अनुमोदन लेकर पिछले साल 25 अप्रैल को फर्म की दरों में 20 प्रतिशत बढ़ोत्तरी के आदेश जारी किए थे। इतना ही नहीं उन्होंने बढ़ी हुई दर का भुगतान बैकडेट यानि 1 अप्रैल, 2022 से ही करने के आदेश भी कर दिए।
सोनी ने इससे भी आगे बढ़कर ऑडिट पैरा के तहत फर्म से राशि वसूल करने के बजाय उस ऑडिट पैरा को ही निरस्त करवाने की कार्य़वाही शुरू कर दी। लेकिन, लोकल ऑडिट विभाग ने इस पैरा को खत्म नहीं किया। इससे नगर निगम को करीब 5 करोड़ रुपए का नुकसान हआ। बता दें कि इसी तरह नगर निगम के अफसरों द्वारा यूडी टैक्स वसूली का काम कर रही प्राइवेट कंपनी स्पैरो सॉफ्टटेक प्रा. लि. को भी नियम विरुद्ध फायदा पहुंचाया है।