अपने अनोखे अंदाज में लिखी स्वतंत्र पत्रकार राजेन्द्र सिंह गहलोत ने किताब ‘मैं झुकेगा नहीं’
किताब बेहतरीन अंदाज में लिखी है, जिसकी व लेखक राजेन्द्र सिंह गहलोत की प्रशंसा करते हुए एम.आर.सिघवी ने लिखा है कि स्वतंत्र पत्रकार और लेखक प्रिय राजेन्द्र सिंह गहलोत ने प्रस्तुत पुस्तक में मेरे जीवन के हर पहलू को बखूबी दर्शाया है, जिसके लिए वह साधुवाद के पात्र हैं। पुस्तक की भाषा इसे रोचक और पठनीय बनाती है। मैं कामना करता हूं कि उनकी लेखनी इसी प्रकार निर्बाध रूप से चलती रहे और मां सरस्वती की सेवा में संलग्न रहे।
।।अरुण कुमार।।
स्वतंत्र पत्रकार एवं लेखक राजेन्द्र सिंह गहलोत ने वरिष्ठ मीडियाकर्मी एम.आर.सिंघवी की जीवनगाथा को अपने अनोखे अंदाज में लिखा और किताब का टाइटल रखा ‘मैं झुकेगा नहीं ‘ जो हिट मूवी पुष्पा 2 का डायलॉग है।
चूंकि राजेन्द्र सिंह गहलोत लेखन और पत्रकारिता के साथ थियेटर, टीवी सीरियल्स और फिल्मों में बतौर अभिनेता और निर्देशक जुड़े रहे हैं, इसलिए इनकी लेखनी में थियेटर और फिल्मों की छाप दिखाई पड़ती है, इनके लेखन का अंदाज ऐसा है कि दूसरा इनके जैसा नहीं लिख सकता।
राजेन्द्र सिंह गहलोत ने पूरी किताब फिल्म की तरह लिखी है रील दर रील, 20 रील की पूरी फिल्म बना दी।
पहली रील में दृश्य बनाया बैशाखी से छुआ आसमान, फिर रील दर रील दृश्य बनाए भारतीय सूचना सेवा में चयन, बाधा बनी विकलांगता को बनाया सीढ़ी, सफर वकालत का मंजिल बनी मीडिया, पिता को माना अपना हीरो, परिवार का आधार स्तम्भ, सफलता में अपनों की होंसला अफजाई आई काम, पत्रकारिता के सुनहरे दौर के बाद ये कहां आ गए हम, बिना जर्नलिज्म की उपाधि वाला कैसा पत्रकार?, कार्यकाल के अनुभव, पिंकसिटी प्रेस क्लब जयपुर, मैं झुकेगा नहीं -आकाशवाणी और दूरदर्शन, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बनाया बिना ताज के महाराजा, मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने किया आधी रात को फोन, अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी देवेन्द्र झाझडिया को दिया अवसर, खिलाड़ियों के खिलाड़ी, कर्मयोगी के मानस पटल पर अध्यात्म की गहरी छाप, देश विदेश की यात्राओं का लिया भरपूर आनंद, फिल्मों के बेहद शौकीन, जीवन के पथ पर बने सहयोगियों के संस्मरण, जिनमें 26 सहयोगियों के संस्मरण शामिल किए गए हैं।
किताब बेहतरीन अंदाज में लिखी है, जिसकी व लेखक राजेन्द्र सिंह गहलोत की प्रशंसा करते हुए एम.आर.सिघवी ने लिखा है कि स्वतंत्र पत्रकार और लेखक प्रिय राजेन्द्र सिंह गहलोत ने प्रस्तुत पुस्तक में मेरे जीवन के हर पहलू को बखूबी दर्शाया है, जिसके लिए वह साधुवाद के पात्र हैं। पुस्तक की भाषा इसे रोचक और पठनीय बनाती है। मैं कामना करता हूं कि उनकी लेखनी इसी प्रकार निर्बाध रूप से चलती रहे और मां सरस्वती की सेवा में संलग्न रहे।
इस प्रकार निःसंदेह यह पुस्तक राजेन्द्र सिंह गहलोत के लेखन में मील का पत्थर साबित होगी। पुस्तक नायक के जीवन की विविध झांकियां प्रस्तुत करती है।