झगड़ा शिया-सुन्नी का और हमला हिंदुओं पर; आखिर कब तक! कठोर कार्रवाई सुनिश्चित हो: विहिप

मोहर्रम के जुलूस के दौरान देश के लगभग आधा दर्जन राज्य में, लगभग दो दर्जन स्थानों पर हिंदुओं पर हुए हमले, हिंसा, उत्पात, आगजनी की घटनाएं बेहद निंदनीय चिंतनीय व शासन प्रशासन के लिए एक चुनौती हैं। हिंदू घरों, दुकानों, मान्यताओं के प्रतीक चिन्हों व मंदिरों पर हमले कर ‘हिंदू राष्ट्र’ के बैनर को आग लगाना और पाक परस्त नारे लगाने व फिलिस्तीन के झंडे लहराने जैसी घटनाएं बेहद शर्मनाक निंदनीय और कठोरता के साथ कुचलने वाली हैं। विश्व हिंदू परिषद के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख श्री विजय शंकर तिवारी ने आज यह भी मांग की जो लोग दोषी हैं उनके विरुद्ध कठोरतम कार्यवाही तथा पीड़ितों को हर प्रकार की मदद और न्याय मिले। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि त्योहार चाहे हिंदुओं का हो या मुसलमान का, उत्पात उन्होंने मचाना ही है। इस मानसिकता से अब इनको बाहर आना होगा और शासन प्रशासन को भी मातम के त्यौहार को हिंदुओं के घरों में मातम बनाने के लिए विवश करने की उनकी रणनीति पर कुठाराघात करना होगा।

श्री तिवारी ने कहा की बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, और राजस्थान समय देश के कई राज्य इस मोहर्रम की मातमी हिंसा के शिकार हुए हैं। बात चाहे बिहार के कटिहार, भागलपुर, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, सीतामढ़ी, मोतिहारी व पूर्वी चंपारण की हो, या झारखंड के गिरिडीह, पलामू, गोड्डा व डूंगरी की, उत्तर प्रदेश के कुशीनगर, बस्ती, बरेली, बहराइच व लखीमपुर खीरी की हो या मध्य प्रदेश के उज्जैन व रतलाम की और या फिर राजस्थान के चुरू की, सभी जगह दृश्य एक जैसे ही थे किंतु हमलों के प्रकार अनेक थे। कहीं मंदिर पर हमले, कहीं हिंदू घरों व बस्तियों को टारगेट किया, कहीं फिलिस्तीन झंडे लहराए, तो कहीं पाक परस्त नारे लगे, कहीं रास्ते पर जा रहे यात्रियों को पीटा, तो कहीं वाहनों को तोड़ा, कहीं ‘हिंदू राष्ट्र’ का बैनर जलाया तो कहीं अजय यादव या कौशल्या देवी जैसे निर्दोष हिंदुओं के प्राण हर लिए।

उन्होंने कहा कि अब मुस्लिम समाज को अपने त्योहारों के नाम पर हिंसक शक्ति प्रदर्शन व हिंदुओं के घरों में मातम फैलाने की अपनी इस जिहादी मानसिकता से तो बाज आना ही होगा साथ ही देशभर के पुलिस प्रशासन व शासन को भी इस हिंसक जमात के विरुद्ध और अधिक कठोर कदम उठाने होंगे।

श्री तिवारी ने कहा कि इस प्रकार की घटनाएं पहली बार नहीं हुई। शायद ऐसा कभी नहीं हुआ कि जब ताजिए के जुलूस निकलें और देश भर में हिंसा की कहीं कोई घटना ना हुई हो। वैसे भी काफिरोफोबिया के शिकार जिहादी कट्टरपंथियों ने शायद एक प्रकार से तय कर रखा है कि त्यौहार किसी का हो, हमें उपद्रव करना ही है।

विश्व हिंदू परिषद मांग करती है कि इन इस्लामिक कट्टरपंथियों के विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई सुनिश्चित करते हुए देश भर के शासन प्रशासन को यह भी सुनिश्चित करना पड़ेगा कि आगे इस प्रकार की हिंसा की घटनाएं न हों और पीड़ित परिवारों को जन धन की जो हानि हुई है उसकी भरपाई भी इन हमलावरों से हो। साथ ही, हिंदू समाज को भी जिहादी जंगली भेड़ियों के द्वारा बार की जा रही लक्षित हिंसा से सावधान रहना होगा।

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