राजस्थान में नेताओं को राजनीतिक ताजपोशी का इंतजार, डेढ़ साल में सिर्फ 8 नियुक्तियां
जयपुर। राजस्थान में सरकार भाजपा या कांग्रेस किसी भी दल की हो, लेकिन पिछली कुछ सरकारों से राजनीतिक नियुक्तियां ढाई से तीन साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद ही शुरू होती हैं। राज्य की वर्तमान सरकार को भी डेढ़ साल से ज्यादा हो गया, लेकिन अब तक 8 बोर्ड-आयोगों में ही अध्यक्ष पद दिए गए हैं। जबकि पद हासिल करने को लेकर दिग्गज नेता बड़ी संख्या में कतार में लगे हुए हैं।
वहीं, सुनवाई नहीं होने से जनता भी इन बोर्ड-आयोगों से खाली हाथ लौट रही है। पिछली सरकार में भी करीब 80 बोर्ड-आयोगों में अध्यक्ष-उपाध्यक्ष बनाए गए थे। नियुक्तियों का सिलसिला चुनाव आचार संहिता लगने तक जारी रहा। इनमें से कई तो पदभार ही ग्रहण नहीं कर सके। वसुंधरा सरकार के समय भी ऐसा ही रहा।
विधानसभा चुनाव के करीब छह माह बाद लोकसभा चुनाव होते हैं। विधानसभा और लोकसभा चुनाव में कई नेताओं को तो चुनाव मैदान से यही आश्वासन देकर बिठाया जाता है कि उन्हें सरकार में भागीदारी दी जाएगी। लेकिन, चुनाव के बाद इंतजार लंबा हो जाता है। जब नियुक्तियों का सिलसिला शुरू होता है तो दर्जा प्राप्त कैबिनेट और राज्य मंत्रियों की संख्या मंत्रिमंडल से भी आगे निकल जाती है। पिछली सरकार ने 35 को कैबिनेट व राज्य मंत्री का दर्जा दिया था। इस बार भी नियुक्तियों को लेकर दिग्गजों की भागदौड़ तेज हो चुकी है।
वर्तमान सरकार में राजनीतिक नियुक्तियां
राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रौन्नति प्राधिकरण : ओंकार सिंह लखावत
सैनिक कल्याण बोर्ड: प्रेमसिंह बाजौर
श्रीयादे माटी कला बोर्ड: प्रहलाद टांक
राज्य किसान आयोग: सी आर चौधरी
श्री विश्वकर्मा कौशल विकास बोर्ड: रामगोपाल सुथार
राजस्थान अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास आयोग: राजेन्द्र नायक
राज्य जीव जंतु कल्याण बोर्ड: जसवंत विश्नोई
देवनारायण बोर्ड: ओम प्रकाश भड़ाना
मंत्रियों के बराबर मिलती हैं सुविधाएं, जनता पर बोझ
राज्य सरकार में राजनीतिक नियुक्तियों में जिनको कैबिनेट, राज्य और उप मंत्री का दर्जा मिलता है। उनको सुख सुविधाएं भी सरकारी आवास को छोड़कर सरकार के कैबिनेट-राज्य मंत्री के बराबर ही मिलती हैं। जिसका बोझ जनता पर ही पड़ता है। वेतन के साथ ही सरकारी गाड़ी, सुरक्षा कर्मी, ऑफिस स्टाफ भी मिलता है। सरकारी गेस्ट हाउस में कम दरों पर रुकने की सुविधा के साथ ही टेलीफोन, चिकित्सा सुविधा मिलती है। सरकारी आवास की सुविधा सरकार चाहे तो दे सकती है। भाजपा राज में कुछ नेताओं को पहले सरकारी आवास भी दिया गया था।
भाजपा राज में पहली नियुक्ति लखावत को
प्रदेश में भाजपा की पिछली कुछ सरकारों से संयोग ही रहा है कि पहली राजनीतिक नियुक्ति वरिष्ठ नेता औंकार सिंह लखावत की मिली है। इस बार भी ऐसा ही हुआ है। लखावत को संगठन का लम्बा अनुभव है और वे अनुशासन समिति के अध्यक्ष भी हैं।