पुरातत्व विभाग का डिजिटल क्रांति की ओर कदम, सभी संग्रहालयों और सम्पत्तियों का होगा डिजिटाइजेशन
जयपुर। राजस्थान के पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग ने अपनी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को डिजिटल युग में लाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। प्रमुख शासन सचिव (पर्यटन, कला, संस्कृति एवं पुरातत्व) राजेश यादव ने जयपुर के पर्यटन भवन में आयोजित समीक्षा बैठक में विभाग के सभी संग्रहालयों और सम्पत्तियों के डिजिटाइजेशन के निर्देश दिए। इसके साथ ही, यादव ने पुरातत्व विभाग की सभी सम्पत्तियों के लिए एक विजन डॉक्यूमेंट तैयार करने और विभाग की सेवाओं को ऑनलाइन करने का आदेश दिया।
एक नजर में जानें विभाग के कार्य
1-जयपुर में जन्तर मन्तर, आमेर किला, झालावाड़ में गागरोन किला यूनेस्को सूचीबद्ध स्मारक हैं।
2-1950 से राजस्थान राज्य के निर्माण के साथ ही पुरातत्व एवं संग्राहलय विभाग का गठन किया गया।
3-वर्तमान में विभाग द्वारा 345 पुरा स्मारक व 43 पुरास्थ संरक्षित घोषित है। साथ ही विभाग द्वारा 22 राजकीय संग्राहलय व 2 कला दीर्घा संचालित किये जा रहे हैं।
4- लगभग 3 लाख से अधिक कला पुरा सामग्री यथा पाषण प्रतिमाएं,धातु प्रतिमाएं लघुरंग चित्र,अस्त्र—शस्त्र,वस्त्र परिधान,सिक्के,हस्तलिखित ग्रंथ,लिथोग्राफ,शिलालेख,टेराकोटा आदि पुरावस्तुएं संग्रहित एव प्रदर्शित हैं।
5- विभाग द्वारा प्रदेश बिखरी कला—पुरासम्पदा तथा सांस्कृतिक धरोहर की खोज, संरक्षित स्मारकों का संरक्षण एवं जीर्णोद्धार, पुरावशेषों का सर्वेक्षण, संग्राहलयों का पुनर्गठन एवं विकास का पब्लिकेशन कम्यूनिकेशन एवं मास मीडिया योजनाओं के अन्तर्गत कार्य संम्पादित किए जाते हैं।
6- कलात्मक किले,मंदिर,छतरियां,बावड़िया,हवेलियां व अन्य ऐतिहासिक,धार्मिक व सांस्कृतिक महत्व के पुरा स्मारकों का सर्वे करवाया जाकर इनके गौरवशाली स्थापत्य, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि एवं कलात्मकता को दृष्टिगत रखते हुए उन्हें संरक्षित घोषित कर मूल स्वरूप में संरक्षण जीर्णोद्धार,रखरखाव व सुरक्षा की समुचित व्यवस्था की जाती है।